एजिंग शरीर की एक नेचुरल प्रक्रिया है। और शरीर के सभी अंगों को इससे गुजरना पड़ता है। त्वचा भी इससे अछूती नहीं है। यह पूरी तरह से सामान्य है और हम सभी को जीवन के इस पड़ाव का आनंद लेना चाहिए। हालांकि, कई ऐसी स्थितियां भी हैं, जिनकी वजह से त्वचा पर समय से पहले एजिंग के निशान (causes of aging) नजर आ सकते हैं, जिसे हम ‘प्रीमेच्योर एजिंग‘ कहते हैं (what causes early aging)। अगर आप भी प्रीमेच्योर एजिंग (Premature aging) को लेकर परेशान हैं, तो आज इस परेशानी को दूर करने में हम आपकी मदद करेंगे।
एजिंग को अवॉइड करने का सबसे अच्छा तरीका है, नियमित दिनचर्या में की जाने वाली गलतियों में सुधार करना। इसके अलावा कुछ खास घरेलू नुस्खे भी हैं, जो त्वचा पर नजर आने वाले एजिंग के निशान को कम करने में आपकी मदद करेंगे।
अपने ये जरूर सुना होगा की रात को सोने से पहले मेकअप उतरना जरूरी है। क्लींजिंग रूटीन को फॉलो न करने से त्वचा के पोर्स बंद हो जाते हैं, साथ-साथ त्वचा सुस्त नजर आती है। पोर्स के बंद होने से त्वचा की बनावट और रंगत से जुड़ी कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं।
वहीं जब आप कहीं बाहर से आकर अपना मेकअप रिमूव नहीं करती हैं, या फेस वॉश नहीं करती हैं, तो तेल, बैक्टीरिया और डेड स्किन सेल्स जमा हो जाती हैं, जो फौरन मुहांसे पैदा कर सकती हैं। साथ ही साथ त्वचा डल और बेजान हो जाती है, और इसकी वजह से समय के साथ त्वचा पर एजिंग के निशान नजर आ सकते हैं।
नींद की कमी भी त्वचा की उम्र बढ़ने का एक कारण है। नींद में बॉडी खुद को रिपेयर करती है, जिसमें स्किन भी शामिल है। जब आप शरीर को पर्याप्त समय नहीं देती हैं, तो हार्मोंस असंतुलित हो सकते हैं और अपने प्रवृत्ति के विपरीत कार्य कर सकते हैं। नतीजन स्किन सैगिंग, त्वचा की लोच कम होना और काले घेरे जैसे प्रीमेच्योर एजिंग के निशान देखने को मिल सकते हैं। स्लीपिंग ब्यूटी निश्चित रूप से अपने नाम के अनुरूप है।
आपका खाद्य विकल्प भी त्वचा की उम्र बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रोसैस्ड, रिफाइंड, शुगर, सैचुरेटेड और अनसैचुरेटेड फैट से भरपूर आहार शरीर में सूजन को बढ़ावा देते हैं। इस स्थिति में त्वचा पर रेडनेस, एक्ने सहित प्रीमेच्योर एजिंग के निशान देखने को मिल सकते हैं।
आपको हर रोज़ सनस्क्रीन लगाने की ज़रूरत है, चाहे बारिश हो या धूप, चाहे आप बाहर कदम रखें या नहीं। UVB किरणें त्वचा को जलाती हैं, कोलेजन और इलास्टिन फाइबर के टूटने में योगदान करती हैं, जिससे झुरियां और त्वचा में ढीलापन देखने को मिल सकता है। सूरज की हानिकारक किरणों का प्रभाव घर के अंदर भी पड़ता है, ऐसे में पिगमेंटेशन, फाइन लाइंस, रिंकल्स, स्किन सैगिंग जैसी समस्याएं समय से पहले आपकी त्वचा को प्रभावित कर सकती हैं।
शरीर को सही से कार्य करने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है, वहीं त्वचा स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए भी शरीर में पर्याप्त पानी होना चाहिए। त्वचा की सबसे ऊपरी परत, स्ट्रेटम कॉर्नियम, सुरक्षात्मक अवरोध है, जो त्वचा को पर्यावरण के हानिकारक तत्वों से बचाता है। त्वचा के सुरक्षात्मक अवरोध को मजबूत बने रहने के लिए पर्याप्त हाइड्रेशन की आवश्यकता होती है, जिसे पर्याप्त मात्रा में पानी पीकर पूरा किया जा सकता है।
रिफाइंड शुगर आपके स्वास्थ्य, विशेष रूप से आपकी त्वचा पर हानिकारक प्रभाव डाल सकती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार चीनी कोलेजन के कार्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है, जो त्वचा की लोच एवं ग्लो को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
चीनी का सबसे अधिक सेवन किया जाने वाला रूप (ग्लूकोज और फ्रुक्टोज) त्वचा में प्रोटीन के साथ प्रतिक्रिया करता है, जिसके परिणामस्वरूप उन्नत ग्लाइकेशन एंड-प्रोडक्ट्स (AGES) का निर्माण होता है। यह प्रक्रिया यूवी रेज द्वारा तेज होती है। इसके परिणाम स्वरूप शुष्क, सुस्त और ढीली त्वचा का सामना करना पड़ सकता है, जो सूरज के प्रति संवेदनशील होती हैं।
धूम्रपान त्वचा की रिपेयर मेकैनिज्म को ऑक्सीडेटिव क्षति पहुंचाता है, और कोशिकीय मैट्रिक्स टर्नओवर को बाधित करता है, जिससे त्वचा की उम्र बढ़ने के शुरुआती संकेत जैसे कि फाइन लाइन और रिंकल्स नजर आना शुरू हो जाते हैं।
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