scorecardresearch

जहरीली हवा बढ़ा रही है हेयर फॉल और गंजेपन का जोखिम, जानिए कैसे रखना है अपने बालों का ख्याल

एयर पॉल्यूटेंटस के संपर्क में आने से बालों के क्यूटिकल, कॉर्टेक्स और केराटिन को नुकसान का सामना करना पड़ता हैं। हवा में घुले केमिकल्स बालों के शाफ्ट में प्रवेश करते हैं, जिससे बाल रूखे और बेजान होने लगते हैं।
Published On: 25 Nov 2024, 03:00 pm IST
  • Google News Share
  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
Air pollution ka baalon par asar
बालों की सेहत के लिए फायदेमंद ब्राह्मी की पत्तियों में विटामिन सी, सैपोनिन्स और फ्लेवोनोइड्स पाए जाते हैं।। चित्र : अडॉबीस्टॉक

पर्यावरण में प्रदूषण का प्रभाव तेज़ी से बढ़ रहा है। इससे न केवल चेहरे की त्वचा को नुकसान पहुंचता है बल्कि बालों की समसयाएं भी बढ़ने लगती है। इससे हेयरफॉल से लेकर रूखेपन तक कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। दरअसल, जहरीली हवा में घुले पॉल्यूटेंटस जड़ों को नुकसान पहुंचाकर हेयरफॉल का कारण साबित होते हैं। अगर आप भी एयर पॉल्यूशन के कारण बालों से जड़ी समस्याओं का शिकार हो रही है, तो जानें किन टिप्स की मदद से इस समस्या को नियंत्रित (how to protect hair from pollution) करने में मदद मिलती है।

न्यू जर्सी हेयर रिस्टोरेशन सेंटर की रिसर्च के अनुसार, प्रदूषण से एंड्रोजेनेटिक एलोपेसिया का जोखिम बढ़ जाता है, जो हेयरलॉस का कारण बनने लगता है। नैनो पार्टिकल्स के चलते बालों के टैक्सचर को नुकसान पहुंचता है। इसके अलावा पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन से बालों की जड़ें कमज़ोर हो जाती हैं।

hair loss ke karan
नैनो पार्टिकल्स के चलते बालों के टैक्सचर को नुकसान पहुंचता है। चित्र : एडॉबीस्टॉक

प्रदूषण से बालों को होने वाले नुकसान के लक्षण

  • बालों को टूटना और लगातार झड़ना
  • रूखेपन की समस्या का बढ़ना और स्कैल्प पर खुजली रहना
  • हेयर कलर में बदलाव नज़र आना और बालों क टैक्सचर खराब हो जाना
  • बालों में रूखी का बढ़ना और स्पिल्ट एंडस की समस्या का सामना करना
  • बालों का वॉल्यूम कम हो जाना

प्रदूषित हवा कैसे पहुंचाती है बालों का नुकसान

इस बारे में डर्माटोलॉजिस्ट डॉ सोनाली कोहली बताती हैं कि प्रदूषित हवा के संपर्क में आने से हवा में घुली धातुओं और कण पदार्थ बालों को क्षतिग्रस्त करते हैं। हवा में घुले केमिकल्स बालों के शाफ्ट में प्रवेश करते हैं जिससे बाल रूखे और बेजान होने लगते हैं, जिससे बाल झड़ने लगते हैं। प्रदूषकों के कारण ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ जाता है। एसे में लंबे समय तक इनके संपर्क में रहने से बालों का रंग खराब हो सकता है और बाल पतले हो सकते हैं।

एनआईएच की रिपोर्ट के अनुसार एयर पॉल्यूटेंटस के संपर्क में आने से बालों के क्यूटिकल, कॉर्टेक्स और केराटिन को नुकसान का सामना करना पड़ता है, जिससे बाल रूखे होकर टूटने लगते हैं। प्रदूषक तत्व स्कैल्प पर मौजूद नेचुरल ऑयल को छीन सकते हैं, जिससे बाल कमजोर हो जाते हैं और बालों के स्वास्थ्य में समग्र गिरावट आती है।

Hair loss se kaise bachein
एयर पॉल्यूटेंटस के संपर्क में आने से बालों के क्यूटिकल, कॉर्टेक्स और केराटिन को नुकसान का सामना करना पड़ता है

प्रदूषण से बाल क्यों झड़ने लगते हैं

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार पार्टिकुलेट मैटर यानि पीएम की चपेट में आने से स्कैल्प पर प्रोटीन की मात्रा कम होने लगती है। इससे बालों की ग्रोथ प्रभावित होती है और हेयरफॉल का सामना करना पड़ता है। दरअसल, बालों को मिलने वाले प्रोटीनों में बीटा कैटेनिन और साइक्लिन डी समेत कई तत्व मौजूद हैं। डर्माटोलॉजिस्ट डॉ सोनाली कोहली से जानते हैं कि एयर पॉल्यूटेंटस से बचने के लिए किन टिप्स कर मदद लें।

इन टिप्स को अपनाकर बालों को वायु प्रदूषण से बचाएं

1. स्टिकी स्टाइलिंग प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल से बचें

चिपचिपे हेयर सीरम, स्प्रे और ऑयल जैसे उत्पादों से हेयर स्टाइल करने से बचना चाहिए। दरअसल, पर्यावरण में मौजूद विषाक्त पदार्थ और वायु प्रदूषण मिलकर बालों में चिपकने लगते हैं, जिससे ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ने लगता है। इससे हेयरलॉस का सामना करना पड़ता है। ऐसे में उन हेयर स्टाइलिंग उत्पादों का चयन करना चाहिए, जो बालों के क्यूटिकल को सील कर सकें।

2. हेयर रैप करके रखें

एयर क्वालिटी खराब होने से प्रदूषक तत्व तेज़ी से बालों पर प्रहार करते हैं। इसके अलावा धूप कि किरणों से भी हेयर डैमेज का खतरा बना रहता है। प्रदूषण और यूवी रेज़ का प्रभाव मिलकर बालों के झड़ने और पतले होने का कारण साबित होते है। नेशनल लाइब्रेरी आूफ मेडिसिन के अनुसार पर्यावरणीय तनाव बालों में प्रोटीन की कमी को बढ़ा देता है। इससे बालों के रंग में भी बदलाव नज़र आने लगता है। बालों को सुरक्षित बनाए रखने के लिए टोपी या हेड रैप की मदद लें।

3. केमिकल युक्त प्रोडक्टस के प्रयोग से बचें

हेयर केयर उत्पाद चुनने से पहले इस बात का ख्याल रखें कि वो पूरी तरह से सल्फेट, पैराबेन और अन्य हानिकारक रसायनों से मुक्त हों। सल्फेट और पैराबेन को पर्यावरण में बायोएक्यूमिलेट करने की उनकी क्षमता के कारण जल प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में से एक माना जाता है। दरअसल, ये केमिकल्स हेयर केयर उत्पादों के माध्यम से भी शरीर में पहुँच सकते हैं। इसलिए, हेयर केयर उत्पादों को खरीदते समय उन पर सल्फेट मुक्त या पैराबेन मुक्त लेबल होना महत्वपूर्ण है।

hair ka kaise rakhein khayal
हेयर केयर उत्पादों को खरीदते समय उन पर सल्फेट मुक्त या पैराबेन मुक्त लेबल होना महत्वपूर्ण है। चित्र : शटरस्टॉक

4. हाइड्रेटिंग एजेंट का करें इस्तेमाल

बालों की मज़बूती को बढ़ाने के लिए एलोवेरा, हाइलूरोनिक एसिड और ग्लिसरीन जैसे हाइड्रेटिंग एजेंटस का इस्तेमाल फायदेमंद साबित होता हैं। इससे बालों पर बढ़ने वाला प्रदूषण का दुष्प्रभाव कम हो जाता है और बाल मज़बूत बने रहते है। साथ ही बालों का टैक्सचर उचित बना रहता है।

5. बालों की क्लीनिंग है आवश्यक

नेचुरल हेयर मास्क और शैम्पू की मदद से बालों को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सकता है। सप्ताह में 2 से 3 बार हेयरवॉश करने से हेरूर क्लीजिंग में मदद मिलती है और इससे स्कैल्प का पीएच बना रहता है। साथ ही प्रदूषण का प्रभाव कम होने लगता है।

natural shampoo se hair wash karein
नेचुरल हेयर मास्क और शैम्पू की मदद से बालों को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सकता है।

6. शरीर को हाइड्रेट रखें

मौसम में बदलाव आने से प्यास की कमी बढ़ जाती है, जो डिहाइड्रेशन का कारण बनता है और बालों में ड्राइनेस बढ़ जाती है। ऐसे में भरपूर मात्रा में पानी का सेवन करने से शरीर में निर्जलीकरण की समस्या हल हो जाती है। साथ ही त्वचा और बालों में बढ़ने वाला रूखापन को कम किया जा सकता है।

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

  • Google News Share
  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
लेखक के बारे में
ज्योति सोही
ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं।

अगला लेख