त्वचा के ग्लो को बनाए रखने के लिए उसे पोषण प्रदान करना आवश्यक है। ऐसे में विटामिन सी सीरम का इस्तेमाल बेहद कारगर साबित होता है। दरअसल, एलर्जी, मौसम में बदलाव और कॉस्मेटिक का अधिक इस्तेमाल त्वचा की नमी और रंगत को नुकसान पहुंचाता है। इससे स्किन पर दाग धब्बे, एक्ने और झुर्रियां बढ़ने लगती है। इससे बचने के लिए विटामिन सी सीरम का इस्तेमाल कारगर साबित होता है। स्किन सेल्स को डैमेज से बचाने के लिए अधिकतर लोग विटामिन सी सीरम का इस्तेमाल करते हैं। मगर क्या वाकई इससे त्वचा हेल्दी और क्लीन बनी रहती है। जानते हैं विटामिन सी सीरम के फायदे (vitamin c serum benefits for skin) और इसे त्वचा पर अप्लाई करने का सही तरीका भी।
इस बारे में मेफ्लावर वीमेन हॉस्पिटल में एसथेटिक्स विंग की स्किन एक्सपर्ट डॉ आशिनी भट्ट बताती हैं कि विटामिन सी सीरम में एंटीऑक्सीडेंटस और एंटी इंफ्लामेटरी प्रॉपर्टीज़ पाई जाती है। इसे स्किन टाइप के हिसाब से इस्तेमाल करना चाहिए। वे लोग जो 18 साल की उम्र से ज्यादा हैं, वे इसका इस्तेमाल कर सकते है। चाहे सनस्क्रीन हो, क्रीम हो या लोशन सभी में विटामिन सी की मात्रा पाई जाती है। स्किन केयर रूटीन की शुरूआत से पहले चेहरे पर सीरम को अप्लाई करें। अगर इस्तेमाल करने के बाद चेहरे पर इरिटेशन और बर्निंग सेंसेशन है, तो डॉक्टर से संपर्क करें। इससे स्किन पर ब्रेकआउट का खतरा भी बना रहता है।
स्किन एक्सपर्ट बताती हैं कि विटामिन सी स्किन के लिए बेहद फायदेमंद है। इसका इस्तेमाल शरीर में टिशू बनाने और कोलेजन की मरम्मत के लिए किया जाता है। हेल्दी आहार की मदद से शरीर में विटामिन सी की कमी को पूरा किया जा सकता है। इसके अलावा स्किन को यूथफुल बनाने और एक्ने की समस्या को दूर करने के लिए विटामिन सी सीरम बेहद फायदेमंद है।
इससे स्किन की तीनों लेयर्स को नरीश करने में मदद मिलती है, जिससे त्वचा को लचीलापन बरकरार रहता है। विटामिन सी को एल-एस्कॉर्बिक एसिड या एस्कॉर्बिक एसिड के रूप में जाना जाता है। ये त्वचा में आसानी से एब्जॉर्ब हो जाता है। इससे त्वचा पर दिखने वाली झुर्रियों को दूर किया जा सकता है।
एमडीपीआई की रिपोर्ट के अनुसार विटामिन सी हेल्दी स्किन में पाया जाता है, जो एस्कॉर्बिक एसिड के रूप में त्वचा में प्रवेश करता है। इसमें मैग्नीशियम एस्कॉर्बियल फॉस्फेट की मात्रा पाइ जाती है। इससे हाइड्रेट रहती है, जो रूखेपन की समस्या हल कर देती है।
उम्र के साथ त्वचा में कोलेजन की मात्रा कम होने लगती है। इसका असर बालों और नाखूनो कें अलावा स्किन पर भी दिखने लगता है। प्री मेच्योर एजिंग से बचने के लिए सीरम का इस्तेमाल करें। इससे त्वचा की इलास्टीसिटी बनी रहती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार कोलेजन की कमी फाइन लाइंस का कारण साबित होती है। ऐसे में विटामिन सी की मदद से त्वचा को मिलने वाले प्रोलिल हाइड्रॉक्सिलेज और लाइसिल हाइड्रॉक्सिलेज एंजाइम कोलेजन सिथींसिज़ में मदद करते हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार विटामिन सी मेलेनिन उत्पादन को बढ़ने से राकता है। दरअसल, त्वचा में मेलेनिन का प्रभाव बढ़ने से सनस्पॉट, एज स्पॉट और मेलास्मा का सामना करना पड़ता हैं। विटामिन सी टायरोसिनेस एंजाइम के प्रोडक्शन को कम करके मेलेनिन सिंथीसिज़ को रोकता है। नियमित रूप से विटामिन सी सीरम का इस्तेमाल स्किन के टैक्सचर को इंप्रूव करता है।
काले घेरों को बढ़ने से रोकने के लिए विटामिन सी फायदेमंद है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की रिपोर्ट के अनुसार विटामिन सी की कोलेजन बूस्टिंग एबीलिटी आंखों के नीचे ब्लड के सर्कुलेशन को इंप्रूव करता है, जिससे आंखों के नीचे की त्वचा में थिकनेस बढ़ने लगती है और त्वचा क्लीन व हेल्दी दिखने लगती है। इसके इस्तेमाल से त्वचा पर फ्री रेडिकल्स के खतरे को भी कम किया जा सकता है।
द जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल एंड एस्थेटिक डर्मेटोलॉजी की रिपोर्ट के अनुसार विटामिन सी की सामान्य सीमा 5 से 30 प्रतिशत के भीतर होनी चाहिए। वे लोग जिनकी त्वचा शुष्क और संवेदनशील है। ऐसे लोगों को इरिटेशन से बचने के लिए कम कंसनट्रेशन वाले विटामिन सी प्रोडक्ट इस्तेमाल करने चाहिए। वही दूसरी ओर ऑयली स्किन वाले लोग हाई कंसनट्रेशन का भी प्रयोग कर सकते हैं।
इसे चेहरे पर लगाने से पहले स्किन पर मौजूद किसी भी प्रकार के डस्ट पार्टिकल्स को रिमूव कर लें। इसस सीरम आसानी से स्किन पोर्स में एब्जॉर्ब हो सकता है। स्किन क्लींजिंग के बाद मॉइश्चराइज़र से पहले विटामिन सी को अप्लाई करें।
विटामिन सी सीरम में विटामिन ई और फेरुलिक एसिड की भी मात्रा पाई जाती है। इससे एल.एस्कॉर्बिक तत्व की स्थिरता बढ़ने लगती है। इसे दिन के समय लगाने से बेहतर नतीजे मिलने लगते है। इसके अलावा मॉइश्चराइज़न और फेशियल ऑयल लगाने से पहले इसकी थिन लेयर को चेहरे पर लगा लें और कुछ देर एब्जॉर्ब होने दें।
पीएच स्तर को ध्यान में रखकर विटामिन सी सीरम का चुनाव करें। अगर त्वचा संवेदनशील है, तो 5 से 6 के पीएच फ़ॉर्मूले का उपयोग करना चाहिए। वे लोग जिनकी त्वचा सामान्य है, वे 3.5 यानि ऑप्टिमल एब्जॉर्ब्शन वाले विकल्प को चुनें।