क्या आपको स्किन पिकिंग डिसॉर्डर हैं? तो इसे छोड़ने का समय आ गया है!
क्या आप त्वचा की पपड़ी या दानों को नोचते हैं? ऐसा अक्सर बहुत लोगों के साथ होता है। लेकिन अगर यह एक आदत बन जाती है, तो इस बात की काफी संभावना है कि आप स्किन पिकिंग डिसऑर्डर या एसपीडी (SPD) से पीड़ित हैं। शारीरिक अभिव्यक्तियों के अलावा, यह आपको मानसिक रूप से भी प्रभावित कर सकता है!
दिल्ली की जानी-मानी त्वचा विशेषज्ञ डॉ. किरण सेठी, हमें बताती हैं, “स्किन पिकिंग तब होता है जब आप खुद से पपड़ी, या पिंपल्स हटाने की कोशिश करते हैं। यह अनावश्यक निशान पैदा कर सकता है, त्वचा खराब कर सकता है, बैक्टीरिया फैला सकता है और संक्रमण का कारण बन सकता है।”
जानिए इस विकार के कुछ सामान्य लक्षण
- लगातार कोशिश करने के बावजूद स्किन पिकिंग करते रहना
- स्किन पिकिंग के कारण घावों का विकास
- मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों का अनुभव करना
इस विकार के कई कारण हो सकते हैं। मेंटल हेल्थ प्रैक्टिशनर, प्रीता गांगुली, बताती हैं, “कुछ लोग बेदाग त्वचा चाहते हैं, और थोड़ी सी भी अपूर्णता उन्हें परेशान करती है। ऐसे अन्य लोग भी हैं जो उच्च स्तर के तनाव या ऊब के परिणामस्वरूप स्किन पिकिंग करते हैं। अन्य लोग इसे आदत के कारण कर सकते हैं।”
लोग स्किन पिकिंग की आदत को क्यों विकसित करते हैं?
मोठे तौर पर इसके दो कारण हो सकते हैं:
डॉ सेठी बताती हैं कि कई मामलों में, जब कोई पपड़ी होती है, तो लोग उसे खरोंचने या काटने लगते हैं, और एक नया घाव बन जाता है। यह, बदले में, आपकी स्किन पिकिंग के एक दुष्चक्र का कारण बनता है, और जारी रहता है!
गांगुली का मानना है कि त्वचा की पसंद का संबंध आपकी मनःस्थिति से भी होता है। वह कहती हैं, “जब कोई व्यक्ति तनाव में होता है, तो वह अपने स्किन को पिक कर सकता है। वह उनके बाल खींच सकता है या उनके नाखून भी काट सकता है। तनाव के प्रति सभी की अलग-अलग प्रतिक्रिया होती है।”
इस स्किन पिकिंग डिसऑर्डर से कैसे निपटा जा सकता है?
1. ट्रिगर पॉइंट्स को पहचानें
यह समझना महत्वपूर्ण है कि आप ऐसा क्यों कर रहें हैं। यह बोरियत के अलावा और कुछ भी हो सकता है, या अंतर्निहित नकारात्मक भावनाएं हो सकती हैं। एक बार जब आप ट्रिगर्स को जान लेते हैं, तो सही उपचार की सिफारिश की जा सकती है।
डॉ सेठी बताती हैं, “यदि यह मुंहसें या खुजली के कारण होता है, तो त्वचा विशेषज्ञ आपकी मदद कर सकते हैं। यदि यह आपके मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा है, तो आपको एक मनोवैज्ञानिक को देखना चाहिए, जिसे इस मुद्दे से निपटने के बारे में ज्ञान हो।”
2. उत्तेजना को नियंत्रित करें
गांगुली बताती हैं, “ऐसे मामलों में, स्वभाव बदल जाता है, ताकि किसी अपनी त्वचा को पिक करना आसान हो। यह कुछ भी हो सकता है – अपने नाखूनों को काटने से लेकर पूरी बाजू के कपड़े पहनने तक।”
3. थेरेपी है जरूरी
ऐसे रोगियों को कॉग्निटिव बिहेवीयर थेरेपी या सीबीटी (CBT) की भी सिफारिश की जाती है। एसपीडी के लिए एक विशेष प्रकार का एसबीटी विकसित किया गया है। गांगुली कहती हैं, “इस तरह की थेरेपी उत्तेजना नियंत्रण और आदत को बदलने पर विशेष ध्यान देती है। एक थेरेपिस्ट के साथ काम करें, जो आपको ठीक से मार्गदर्शन कर सके, और स्किन पिकिंग डिसऑर्डर से निपटने के लिए प्रशिक्षित हो।”
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कस्टमाइज़ करेंविशेषज्ञ द्वारा दवा की सिफारिश की जा सकती है। लेकिन डॉक्टर की सलाह लिए बिना किसी भी दावा का सेवन ना करें।
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